Four Human Properties By Chanakya Niti
आचार्य चाणक्य ने मनुष्य में 4 गुण प्राकतिक रूप से विद्यमान बतायें है ।
जो मनुष्य को सीखा नही सकते । वे उसके अंदर ही जन्म से विद्यमान रहते है।
1. दान ( Charity )
यह मनुष्य का एक ऐसा गुण है ,जिसे सिखाया नही जा सकता है। यदि मनुष्य में यह गुण नही हैं। तो उसके पास तीनों लोक जितनी सम्पती होने के बाद भी वह किसी को दे नही सकता (दान नही कर सकता ) मनुष्य को स्वयं ही यह गुण अपने अन्दर उत्पन्न करना होता है । कोई और नही कर सकता है ।
2. धैर्य ( Patience )
मनुष्य में धैर्य का गुण उसकी इच्छा इच्छाशक्ति के अनुसार होता है । यदि मनुष्य की इच्छा शक्ति प्रबल है तो वह किसी भी कार्य ,वस्तु ,या विषय के लिए धैर्य कर सकता है । और उसका उचित लाभ ले सकता है ।
अगर उसकी इच्छाशक्ति कमजोर है तो वह किसी वस्तु ,विषय को पाने में धैर्य नही रखेगा । उसका धैर्य का बांध टूट जाएगा । और यही बाँध उसको डुबा देगा । यही उसके पतन का कारण बन सकता है ।
इसलिए किसी भी कार्य मे जल्दबाजी नही करनी चाहिए ।
3. फ़ैसला लेनें की क्षमता ( Decision Making Power )
किसी भी मनुष्य में एक उचित फ़ैसला लेने की क्षमता का गुण होना जरुरी है । लेकिन यह गुण बाहर से हम किसी व्यक्ति में नही डाल सकते है । यह मनुष्य का स्वयं का गुण होता है । जो उसके जन्म से ही उसे प्राप्त हो जाता है ।
उसे कितना भी बाहरी ज्ञान देकर सीखा दो लेकिन जब फैसला लेने का समय आता है तब वह सब भूल जाता है ।
और अपने आंतरिक गुण के अनुसार ही फ़ैसला लेता है ।
4. मधुर वाणी ( Soft Voice )
प्रत्येक मनुष्य अपने बचपन से ही बोलना सीखता है । और जब वह बोलने लग जाता है तब उसको यह नही सीखा सकते कि कैसे बोलना ही । मनुष्य की अपने वातावरण और बचपन की परवरिश के अनुसार ही भाषा एवं वाणी होती ।
मीठी वाणी का गुण सब मे होता है , लेकिन सभी मनुष्य इसे अपने जीवन मे नही उतार सकते है । वह जाने अनजाने ही किसी को बुरा भला कह सकता है ।
इसलिये कहा जाता है की -
शब्द सम्भारे बोलिये ,शब्द के हाथ न पाँव ।
एक शब्द औषधि करे ,एक शब्द करे घाव ।।
यदि मनुष्य चाणक्य द्वारा बताए गए इन गुणों को अपने जीवन मे उतारे एवं उसका उचित प्रयोग करें तो उसके जीवन मे कभी निराशा नही हो सकती ,उसे प्रत्येक जगह पर सफलता ही प्राप्त होती ।
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Nice post
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