Cherry Tree Short Story In Hindi
रस्किन बौन्ड ने यह एक सुन्दर छोटी सी कहानी लिखी । यह कथा एक छोटे से लड़के रोकी की है, जो मसूरी में रहता था। जिसकी उम्र छः साल की है। उसने अपने बगीचे में एक चेरी फल का बीज लगाया जिसका सुझाव उसके दादा जी ने दिया था।
कुछ महीने बाद वह देखता है कि उस बीज ने अब एक छोटे पौधे का रूप ले लिया है । वह उस पौधे की बहुत देखभाल करता है , और चेरी का पौधा जल्दी बढ़ने लगता है ।
दो बार ऐसे अवसर आते हैं जब पौधा मरने की स्थिति में आ जाता है जब एक बकरी उसके पूरे पत्ते खा जाती है और एक औरत का पांव फिसल कर उसकी टहनी को आधे भाग में काट देती है। लेकिन पौधा फिर भी जल्दी बढ़ने लगता है और 3 साल बाद उसमें फल लगते हैं।
फल कुछ खट्टे होते हैं पर दादाजी उसको कहते हैं कि अगले साल मीठे फल का इंतजार करें ।
एक दोपहर दादाजी देखते हैं कि रॉकी बगीचे में लेटा हुआ है और शाम तक आकाश को देखता रहता है। रॉकी फिर अपने दादाजी से पूछता है की उन्हें इस चेरी के पेड़ से इतना लगाव क्यों है।
इस पर दादाजी कहते हैं कि क्योंकि हमने इसे लगाया है इसलिए हमें इससे लगाव है तो रॉकी कहता है कि" ईश्वर होने जैसा अनुभव शायद यही होता है।
" क्योंकि जिसको हम पालते हैं पोसते है ,उनके प्रति हमारा लगाव हमेशा बना रहता है । वैसे ही भगवान भी है ,जो हमारा पालन पोषण करते है । वो हमसे बहुत प्यार करते है।
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