वायसातपञ्च शिक्षेच्च षट - शुनस्त्रीणि गर्दभात।।
सिंह ( शेर ) और बगुले से एक - एक, गधे से तीन, मुर्गे से चार, कौऐ से पाँच और कुत्ते से छः गुण (मनुष्य को ) सिखने चाहिए।
प्रभुतं कार्यमल्पमं वा यन्नरः कर्तुमिच्छति।
सर्वारंभेण तत्कार्यं सिंहादेकं प्रचक्षते ।।
काम छोटा हो या बड़ा उसे एक बार हाथ में लेने के बाद नहीं छोड़ना चाहिए । उसे पूरी लगन और सामर्थ्य के साथ करना चाहिए । जैसे सिंह पकड़े हुए शिकार को कदापि नहीं छोड़ता सिंह का यह गुण अवश्य लेना चाहिए ।
इंद्रियाणि च संयम्य बकवत पण्डितों नरः ।
देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत ।।
सफल व्यक्ति वही है,जो बगुले के सामान अपनी इन्द्रियों को संयम में रखकर अपना शिकार करता है। बगुले से यह एक गुण ग्रहण करना चाहिए अर्थात् एकाग्रता के साथ अपना कार्य करें , तो सफलता अवश्य प्राप्त होगी अर्थात् कार्य को करते वक्त अपना सारा ध्यान उसी कार्य की और लगाना चाहिए ,तभी सफलता मिलेगी।
सुश्रान्तोऽपी वहेद् भारं शीतोष्णं च न पश्यति ।
सन्तुष्टश्चरते नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात् ।। अत्यंत थक जाने पर भी बोझ को ढोना ( कर्त्तव्य निभाते रहना ) , ठंडा - गर्म ( प्रतिकूल मौसम ) का विचार न करना ,सदा संतोषपूर्वक विचरण करना , ये तीन बातें गधे से सीखनी चाहिए ।
प्रत्युत्थानं च युद्धं च संविभागं च बन्धुषु ।
स्व्यमाक्रम्य भुक्तंच शिक्षेच्चत्वारी कुक्कुटात् ।।
ब्रम्ह्मुहूर्त में जागना,रण में पीछेन हटना ,बन्धुओं में किसी वस्तु का बराबर भाग करना और स्वयं चढ़ाई करके किसी से अपने लक्ष्य को छीन लेना , ये चारों बाते हमें मुर्गे से सीखनी चाहिए। मुर्गे में ये चारो गुण होते है। वह सुबह उठकर बांग देता है। दुसरे मुर्गे से लड़ते हुए पीछे नहीं हटता ,वह अपने खाद्य को अपने चूजो के साथ बांटकर खता है और अपनी मुर्गी को समागम में संतुष्ट रखता है।
गूढ़ च मैथुन धाष्ट्र्र्यम् काले काले च संग्रहम् ।
अप्रमत्तविश्वासं पंच शिक्षेच्च वायसात् ।।
मैथुन ( स्त्री संभोग ) गुप्त स्थान में करना चाहिए ,छिपकर चलना चाहिए , समय - समय पर सभी इच्छित वस्तुओं का संग्रह करना चाहिए , सभी कार्यों में सावधानी रखनी चाहिए और किसी का जल्दी विश्वास न करना चाहिए । ये पाँच बातें कौवे से सीखनी चाहिए ।
बह्वाशी स्वल्पसंतुष्टः सुनिद्रो लघुचेतनः ।
स्वमीभक्तश्च शूरश्च षडेते श्वानतो गुणाः ।।
बहुत भोजन करने की शक्ति रखने पर भी थोड़े से संतुष्ट हो जाए ,अच्छी नींद सोये ,परन्तु जरा से खटके पर ही जग जाए ,अपने रक्षक से प्रेम करे और शूरता दिखाए ,इन छः गुणों को कुत्ते से सीखना चाहिए।
कार्यां वस्थासु सर्वासु अजेयः भविष्यति ।।
जो मनुष्य उपरोक्त बीस गुणों को अपने जीवन में उतारकर आचरण करेगा ,वह सदैव सभी कार्यों में विजय प्राप्त करेगा । और वह अपने सभी कार्य अपने अनुसार कर सकता है और सफलता प्राप्त कर सकता है ।
Ye gun अपने givan me utarne से अवश्य सफलता की प्राप्ति होती है ये सत्य है
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