Short Moral Stories In Hindi- प्रेरणादायक कहनियाँ

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राजा जी के सौ चेहरे [ Short Moral Stories In Hindi For Kids ]

एक राजा, चला था लेने जायजा। अपनी प्रजा के बारे में हमेशा वह सोचता था, उन्हें कोई दुख न हो यह देखता था। रास्ते में वह मिला एक किसान से, जो चल रहा था धीरे-धीरे मारे थकान के।


राजा ने उससे पूछा 'तुम कितना कमाते हो, रोज कितना बचा पाते हो?'


किसान ने दिया उत्तर, 'हुजूर रोज चार आने भर!'


'इन सिक्कों में चल जाता है खर्च?' राजा हैरान थे इतनी कम कमाई पर।


'एक मेरे लिए, एक आभार के लिए, एक मैं लौटाता हूं और एक उधार पर लगाता हूं।'


राजा चकराया, पूरी बात ठीक तरह समझाने को सुझाया।


'एक भाग मैं अपने ऊपर लगाता हूं, एक भाग आभार के लिए यानी पत्नी को देता हूं यानी घर का सारा काम उसी के दम पर ही तो चलता है।


एक मैं लौटाता हूं, इसका मतलब अपने बुजुर्ग माता-पिता के पैरों में चढ़ाता हूं जिन्होंने मुझे इस काबिल बनाया, रोजी-रोटी कमाना सिखाया।


एक उधार पर लगाता हूं यानी अपने बच्चों पर खर्च कर डालता हूं, जिनमें मुझे मेरा भविष्य नजर आता है।''तुमने कितनी अच्छी पहेली बुझाई, मान गए भाई! पर इस उत्तर को रखना राज, जब तक कि मेरा चेहरा देख न लो सौ बार!'


किसान बोला- 'हां, मैं बिल्कुल इसे राज रखूंगा, आपका कहा करूंगा।'


उसी दिन शाम को राजा ने पहेली दरबारियों के सामने रखी, सुनकर उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम हुई। राजा ने कहा यह एक किसान का जवाब है, तुम तो दरबारी हो तुम सबकी तो बुद्धि नायाब है।


कोई जवाब नहीं दे सका, पर एक दरबारी ने हिम्मत जुटाकर कहा।


'महाराज अगर मुझे समय मिले 24 घंटे का, तो मैं जवाब ढूंढकर ला दूंगा आपकी पहेली का।' दरबारी किसान को ढूंढ़ने निकल पड़ा, आखिर किसान उसे मिल ही गया खेत में खड़ा।


पहले तो किसान ने किया इंकार, फिर मान गया देखकर थैली भर सिक्कों की चमकार। दरबारी लौट आया और दे दिया राजा को सही जवाब, राजा समझ गए कि तोड़ा है किसान ने उसका विश्वास।


राजा ने किसान को बुलवाया और भरोसा तोड़ने का कारण उगलवाया।


'याद करो मैंने क्या कहा था? मेरा चेहरा सौ बार देखे बिना नहीं देना जवाब, क्या तुम भूल गए जनाब?'

'नहीं-नहीं महाराज मैंने अपना वादा पूरी तरह से निभाया है, सौ सिक्कों पर आपका अंकित चेहरा देखकर ही जवाब बताया है।'


राजा को उसकी बात एक बार फिर से भाई, थैली भर मुहरें किसान ने फिर से पाई।



राजा का जूता चमड़े की सड़क [ Short Moral Stories In Hindi For Child ]


एक राजा था। उसका एक बड़ा-सा राज्य था। एक दिन उसे देश घूमने का विचार आया और उसने देश भ्रमण की योजना बनाई और घूमने निकल पड़ा।


जब वह यात्रा से लौट कर अपने महल आया।


उसने अपने मंत्रियों से कहा की  मुझे पैरों में दर्द होता हे । राजा का कहना था कि मार्ग में जो कंकड़-पत्थर थे वे मेरे पैरों में चुभते है  और इसके लिए कुछ इंतजाम तो  करना चाहिए।


कुछ देर विचार - विमर्श करने के बाद उसने अपने सैनिकों व मंत्रियों के समक्ष निर्णय लिया और उन्हें आदेश दिया कि देश की संपूर्ण सड़को को  चमड़े से ढंक दी जाएं। राजा का ऐसा आदेश सुनकर सब आश्चर्यचकित  हो गया ।


लेकिन किसी ने भी मना करने की हिम्मत नहीं दिखाई। यह तो निश्चित ही था कि इस काम के लिए बहुत सारे रुपए की जरूरत थी। लेकिन फिर भी किसी ने कुछ नहीं कहा।


कुछ देर बाद राजा के एक बुद्घिमान मंत्री ने एक युक्ति निकाली। उसने राजा के पास जाकर डरते हुए कहा- महाराज! मैं आपको एक सुझाव देना चाहता हूं।


अगर आप इतने रुपयों को अनावश्यक रूप से बर्बाद न करना चाहें तो मेरे पास एक अच्छी तरकीब है, जिससे आपका काम भी हो जाएगा और अनावश्यक रुपयों की बर्बादी भी बच जाएगी।


राजा आश्चर्यचकित था क्योंकि पहली बार किसी ने उसकी आज्ञा न मानने की बात कही थी।

उसने कहा- बताओ क्या सुझाव है?


मंत्री ने कहा- महाराज! पूरे देश की सड़कों को चमड़े के मार्ग से ढंकने के बजाय आप चमड़े के एक टुकड़े का उपयोग कर अपने पैरों के लिए जूता ही क्यों न बनवा लेते और इससे अपने पेरो को ही क्यों नहीं ढंक लेते।

राजा ने अचरज की दृष्टि से मंत्री को देखा और उसकी बात  को मानते हुए अपने लिए एक जोड़ी जूता बनवाने का आदेश दे दिया।


कहानी से सीख :- 
यह कहानी हमें एक महत्वपूर्ण पाठ सिखाती है कि हमेशा ऐसे हल के बारे में सोचना चाहिए जो ज्यादा उपयोगी हो।

जल्दबाजी में अप्रायोगिक हल सोचना बुद्धिमानी नहीं है। दूसरों के साथ बातचीत से भी अच्छे हल निकाले जा सकते हैं।



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 हाथी नहीं इंसान [ Short Moral Stories In Hindi With Moral ]


एक समय की बात है , एक जंगल में एक आदमी गुजर रहा था उसने देखा कि सड़क के किनारे कई हाथी बंधे हुए हैं वह उन्हें देखकर अचानक रुक गया उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक पतली रस्सी बंधी हुई है ।

 वह यह देख कर आश्चर्यचकित हो गया की हाथी जैसा विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों को भी तोड़ सकता है तो इससे क्यों बंद है यह स्पष्ट था कि उसको लग रहा था किया तो यह हाथी पागल हो गए इसीलिए यह अपने बंधन नहीं तोड़ रहे हैं पर बात कुछ और थी वह किसी और वजह से ऐसा नहीं कर रहे थे।

उसने पास ही खड़े एक हाथी वाले महावत से पूछा कि हाथी इतना बड़ा विशालकाय जीव है जोकि इतनी पतली रस्सी से बना हुआ है वह भी इतनी शांति से वह भागने के प्रयास क्यों नहीं कर रहे हैं ,तब महावत ने कहा इन हाथियों को छोटे पर से ही जब यह बच्चे थे ,तब इन्हें रस्सियों से बांदा जाता था।

 उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती थी कि इस बंधन को तोड़ सके बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन हो जाता है , की वो इन रस्सीयों को कभी नहीं तोड़ सकते हैं , और फिर वे बार-बार प्रयास करना छोड़ देते हैं।

यह सुनकर आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि यह ताकतवर जानवर भी सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वह इस बात में यकीन नहीं करते की यह संभव है क्योंकि वे बचपन से ही नाकाम होते रहते हैं।

कहानी से शिक्षा : - इन हाथियों की तरह हम में से कितने लोग ऐसे हैं जो पहली बार में मिली असफलता के कारण अपने मन में मान बैठते हैं कि हमसे यह काम कभी नहीं हो सकता हम इसके लिए बने ही नहीं अपनी ही बनाई हुई मानसिकता की जंजीरों में जकड़ कर पूरा जीवन गुजार देते हैं।

इसलिए याद रखिए कि असफलता केवल जीवन का एक छोटा सा हिस्सा है और यदि हम लगातार प्रयास करते हैं, तो हमें असफलता से जल्द ही सफलता मिलती है अगर आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधे हैं।

जो आपको अपने सपने पूरे करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए क्योंकि आप हाथी नहीं इंसान है।

आपकी जीवन की बागडोर आपके हाथों में होनी चाहिए जिसे कोई बदल नहीं सकता कोई आप को काबू में नहीं कर सकता है।

इसलिए किसी भी कार्य में असफल होने पर हमें सोचना चाहिए कि हमारे पास असीमित शक्तियां है जिससे हम कुछ भी कर सकते हैं और हमारे लिए कुछ भी करना संभव है |



 लालच बुरी बला है [ short moral stories in hindi ]

एक गांव में एक धनी किसान रहता था उसके आप बहुत सारे मजदूर काम करते थे एक दिन किसान ने सोचा कि उसकी बहुत सारी जमीन है तो उनमें से कुछ जमीन को क्यों ना मेरे यहां काम करने वाले मजदूरों को दे दी जाए उसने कुछ जमीन को उन मजदूरों को दे दी |

उस जमीन पर वही गई फसल की उपज सारी उन मजदूरों की ही होती थी एक बार एक मजदूर ने अंगूर के मौसम में किसान से मिली जमीन में अंगूर की कुछ बेल लगा दी थी और वहां उनके लिए काफी मेहनत और मशक्कत करता रहता था।

फल स्वरुप उसकी सेवा के परिणाम स्वरूप अंगूर की पैदावार इतनी ज्यादा हुई की वह पूरे गांव को अंगूर खिला सकता था और उसने कुछ अंगूरों को बाजार में बेचकर आमदनी भी पाने लगा|

एक दिन मज़दूर ने सोचा कि मैं इतने सारे अंगूर बाजार में बेच देता हूं और उन से पैसा भी कमाता हूं जो कि सब उस धनी किसान की ही मेहरबानी है।

जिसकी वजह से मुझे यह सब कुछ हासिल हुआ इन अंगूरों उस किसान का भी हक बनता है इसलिए उसने एक टोकरा अंगूर किसान को भेंट किया।

मीठे मीठे अंगूर खा कर किसान के मन में लालच आ गया और किसान ने सोचा कि क्यों ना मजदूर से वह जमीन ले ली जाए और उसके बदले उसे दूसरी जमीन दे दी जाए इस प्रकार सारी अंगूर की बेल मेरी हो जाएगी और किसान ने ऐसा ही किया उस मजदूर से वह जमीन ले ली और उसे दूसरी जगह जमीन दे दी।

अब वह किसान अंगूर की बेल की खूब देखभाल करता और उसे खूब खाद -पानी देने लग गया, लेकिन अंगूर की बेल विकसित होने की बजाय मुरझाने लगी और कुछ ही दिनों में पूरी तरह सूख गई ।

एक दिन किसान खेत में उदास बैठा था और सूखे अंगूर की बेलो को देख रहा था कि उसी समय वहां से एक साधु महाराज गुजर रहे थे उन्होंने उस धनी किसान से पूछा कि इतने उदास क्यों बैठे हो भाई ।

किसान ने साधु महाराज को सारी बात बताई और कहा कि मेरी समझ में नहीं आ रहा है ,कि मैं इन अंगूर की बेलो में खाद पानी पहले से भी अधिक दे रहा हूं फिर भी यह बेल सुख क्यों गई है जबकि खेत तो वही है|

थोड़ी देर बाद साधु महाराज बोले  की बेटा अब इन लताओं में कभी भी अंगूर नहीं लग सकते क्योंकि इन लताओं की जड़ों में लालच का दीमक लग चुका है।

लालच में आकर तुमने उस मजदूर की मेहनत का फल मुफ्त में पाना चाहा है जो कि गलत इसलिए मैं तुझे यही राय दूंगा कि तू इस जमीन को फिर से उसी मजदूर को दे दे और फिर किसान ने यही किया लेकिन उसे बहुत पछतावा हुआ

कहानी से हमें शिक्षा :- " हमें कभी भी लालच नहीं करनी चाहिए और कभी भी दूसरे की मेहनत का फल अपना नहीं समझना चाहिए। आज कल यह मंत्र बहुत ही प्रचलन में है ,की " राम नाम जपना पराया माल अपना " जो की बहुत ही गलत है। "




स्वर्ग का रास्ता [ Best Moral Stories in Hindi ]

एक दिन एक यात्री अपने कुत्ते और घोड़े के साथ सड़क किनारे चल रहा था। जब वे एक बड़े विशालकाय पेड के पास से गुजर रहे थे , तब उन पर आसमान से एक भयंकर बिजली गिरी और वे तीनो उसी क्षण मर गए।

लेकिन उन तीनो को यह पता ही नहीं चला की वे मर चुके है। वो आगे बड़ते ही चले गए। कभी - कभी मृत प्राणियों को अपना शरीर भाव छोड़ने में समाय लगता है। 

उनकी यात्रा बहुत लम्बी थी आसमान में सूरज चमक रहा था। वे पसीने से तरबतर हो गए थे। और उन्हें बहुत जोर की प्यास लगने लग गयी थी। वो पानी की तलाश करने लग गए।  



सड़क के मोड़ पर उन्हें एक द्वार दिखाई दिया जो पूरा संगमरमर का बना हुआ था।  द्वार से होते हुए वो एक अहाते (आंगन ) में जा पहुचे। अहाते की बिच में एक फव्वारे से आईने की तरह साफ पानी निकल रहा था। 

यात्री ने द्वार पर खड़े हुए एक पहरेदारी से कहा की अरे भाई ये  सुन्दर जगह कौनसी है  ?  पहरेदार ने कहा -  यह स्वर्ग है। कितना अच्छा हुआ हम चलते चलते स्वर्ग तक आ गए। 

हमें बहुत प्यास लगी है। तुम चाहे जितना पानी पि सकते हो। मेरा घोडा और कुत्ता भी प्यासे है। माफ़ करना लेकिन यहाँ जानवरों को पानी पिलाना मना है। 

यात्री स्वयं भी बहुत प्यासा था उसे यह बात सुनकर बहुत निराशा हुयी। वह अकेला ही अपनी प्यास बुझाना नही चाहता था  । उसने पहरेदार को धन्यवाद् दिया और अपने रास्ते पर आगे बाद गया। आगे और बहुत दूर तक चलने के बाद वे एक और दरवाजे के पास पहुचे जो की जर्जर था। और भीतर जाने का रास्ता धुल से पटा  हुआ था। 

दरवाजे के अन्दर  उसने देखा की एक आदमी  पेड़ की छाँव में अपने सर को टोपी से ढंककर सो रहा था। 
नमस्ते -यात्री ने उस आदमी से कहा -मै ,मेरा कुत्ता और घोडा तीनो बहुत ही प्यासे हे। क्या यहाँ पर पानी मिल सकता है। 

उस व्यक्ति  ने कहा - वहां बिच में पानी का एक फव्वारा है ,वहाँ साफ पानी है आप जी पी सकते है । यात्री अपने कुत्ते और घोड़े के साथ वहां पहुंचा और तीनो ने जी भर के पानी पिया और अपनी प्यास बुझाई। 

यात्री ने उस आदमी को धन्यवाद कहा । और यात्री ने पूछा की यह कौनसी जगह है ? " यह स्वर्ग है" - उस आदमी ने कहा। इसी रस्ते में हमें एक संगरमरी अहाता मिला ,उसे भी वहां का पहरेदार स्वर्ग बता रहा  था। 

नहीं -नहीं वह स्वर्ग नहीं है। वह नर्क  है। यात्री अब अपना आपा खो बेठ ,उसने कहा भगवान् के लिए यह कहना बंद करो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है की यह क्या चल रहा है  रहा है ? 

आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा - नाराज न हो भाई ,संगमरमरी स्वर्ग वालो का तो हमपर बड़ा उपकार है । वहां सब लोग रुक जाते है जो अपने भले के लिए अपने दोस्तों और साथियों को भी छोड़ देते है।  

कहानी से शिक्षा :-  कभी भी अपना काम निकले जाने पर अपने मित्र ,साथी एवं सम्बन्धियों को नहीं छोड़ना नहीं चाहिए। और कभी भी केवल अपने ही स्वार्थ के बारे में नहीं सोचना चाहिए। "




बुराई की जड़ घास [ Moral Stories In Hindi ]

एक बार चाणक्य पंडित किसी राज कार्य के लिए सम्राट चन्द्रगुप्त से मिलने जा रहे थे। रास्ते में एक विशेष प्रकार के कुश घास का एक मैदान था। जब चाणक्य उस मैदान से गुजर रहे थे ,तो कुश का एक नुकीला सिरा उनके पाँव में चुभ गया। उनके मुँह से अचानक चीख निकल गई।

उन्होंने झुककर उस नुकीले कुश को देखा ,फिर कुदाल मँगवाई और अपने हाथो से मैदान के सारे कुश घास को उखाड़ कर फेंकना शुरू कर दिया।

उसे उखाड़ कर फेंकने ले बाद उन्होने कुश की जड़ो को भी जमीन से निकाल दिया और उन्हें जला दिया।

इसके बाद उन्होंने अपने शिष्यों से मट्ठा ( बिलोया हुआ कच्चा घी  ) मंगवाकर सारे मैदान की सिंचाई कर दी ताकि पुनः कुश की घास पनपकर अपने नुकीलेपन से किसी राहगीर को पीड़ा न पहुंचा सके।

यह देख कर एक शिष्य ने जिज्ञासावश पूछ लिया की , आचार्य आपने मात्र नुकीले घास को निकालने के लिए इतनी मेहनत क्यों की ?

यदि आप हमें आदेश देते  तो हम तुरंत कर देते। शिष्य की बात सुनकर आचार्य चाणक्य मुस्कुराये  ,और बोले ,मैंने  तुम सबको सिख देने के लिए यह कार्य  स्वयं किया है।

इस कार्य के माध्यम से मै तुम सब को यह बताना चाहता हूँ की जब तक बुराई की जड़ को खत्म नहीं किया जाता है। तो वो कभी न कभी किसी न किसी  को अपनी चपेट में लेने का कार्य ही है।

इसलिए केवल बुराई को ही ख़त्म नहीं करना है अपितु उसकी जड़ को ही समाप्त कर देना चाहिए ताकि वह दोबारा कभी पनप न सके।

कहानी से सिख :- " इस कहानी से हमें सिख मिलती है की बुराई को सहन नहीं करना चाहिए एवं उसके साथ उसकी मूल जड़ को ही समाप्त कर देना चाहिए। "



बैलो की अज्ञानता [ Moral Stories In Hindi ] 


एक समय की बात है एक जंगल में 4 बैल रहते थे। वे आपस में एक दुसरे को बहुत प्रेम करते थे। वे सभी साथ में ही घूमते खाते और कभी झगडा नहीं करते थे। उसी जंगल की एक गुफा में एक शेर रहते था। हष्ट - पुष्ट बैलो को मारकर खाने के लिए वह नित्य ही नए - नए  उपाय करता रहता था। ताकि मोका मिलते ही वह उन्हें मार सके। पर उन चारो बैलो को साथ में देखकर वह हर बार निराश हो जाता था।

एक दिन शेर ने चारो बैलो को आपस में लड़ाने का उपाय निकाला । वह उन छारो बैलो के पास जाकर इधर - उधर घुमने लगा। बैल उसे अपने पास घूमता देख घबरा गए। घबराहट के कारण वे सभी एक दुसरे से अलग हो गए। और फिर क्या शेर को तो इसी मोके की तलाश थी उसने बारी - बारी से एक बैल के कान में जाकर कुछ कहने लगा -  और वहाँ से चला गया ।

चारो बैल यह जानने को उतावले हो रहे थे की शेर ने उनके कान में क्या कहा ?

चारो बैलो ने एक दुसरे को एक ही  उत्तर दिया की - कुछ नहीं कहा। अब सभी बैलो के दिमाग में एक दुरे के खिलाफ एक बाद घुमने लगी की कहीं यह शेर से मिला हुआ तो नहीं ,कहीं यह शेर के साथ मिलाकर हमारे साथ धोका तो नहीं कर रहा है। और हमने कुछ छूपा रहा हो।

इसी बात को लेकर वे आपस में लड़ने लगे और अलग -अलग हो गए। और सबने आपस में एक दुसरे से अपने दोस्ती भी तोड़ दी और अलग - अलग जंगल में घुमने लग गए।

अपने तरकीब को सफल होते देख शेर बहुत प्रसन्न हुआ और उसने उन चारो बैलो को बारी - बारी से अपने शिकार बना लिया।

कहानी से सिख : -इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है की जब तक हम साथ है हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।  किन्तु अपनों से बैर लेकर हम अलग हो कर हम कमजोर हो जाते है। और फिर हमारा पतन हो जाता है । इसलिए अपनों के लिए किसी गलतफ़हमी को पैदा नहीं होने देना चाहिए । "

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